उत्तराखंड: जानिए कैसे बनीं मेजर प्रिया सेमवाल पहली वीर नारी! -
उत्तराखंड की बेटी मेजर प्रिया सेमवाल ने अपने जीवन में कई बाधाओं को पार करते हुए भारतीय सेना में एक प्रेरणादायक महिला अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई है। पति की शहादत के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि सेना में शामिल होकर देश सेवा का संकल्प लिया। वे भारतीय सेना में स्थायी कमीशन पाने वाली पहली वीर नारी बनीं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी क्षमता का लोहा मनवाया। उनकी कहानी साहस, संघर्ष और उपलब्धियों का एक प्रेरक उदाहरण है जो देश की बेटियों को नई दिशा दिखाती है।
मेजर प्रिया का संघर्षपूर्ण सफर
मेजर प्रिया सेमवाल का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है। 2012 में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान उनके पति नायक अमित शर्मा शहीद हो गए। इस दुखद घटना ने उन्हें तोड़ने की बजाय और मजबूत बना दिया। उन्होंने ठान लिया कि वे भी अपने पति की तरह देश सेवा करेंगी।
- 2014 में चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से पास हुईं
- भारतीय सेना की इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर में लेफ्टिनेंट बनीं
- शहीद नॉन-कमिशन्ड ऑफिसर की पत्नी होकर सेना में अधिकारी बनने वाली पहली महिला
समुद्र और अंतरराष्ट्रीय मोर्चों पर उपलब्धियां
मेजर प्रिया ने अपनी क्षमता का लोहा हर मोर्चे पर मनवाया है। 2022 में उन्होंने भारतीय सेना की पहली ऑल-वूमेन सेलबोट एक्सपीडिशन टीम का नेतृत्व किया। इस यात्रा में उन्होंने गोवा से कोच्चि तक 900 नॉटिकल मील की दूरी तय की। इसके अलावा, उन्होंने लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रेरणा और सम्मान
मेजर प्रिया सेमवाल आज उत्तराखंड और पूरे देश की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने साबित किया है कि महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकती हैं। उनके साहस और समर्पण को देखते हुए उन्हें राज्य का प्रतिष्ठित तीलू रौतेली सम्मान भी प्रदान किया गया है। मेजर प्रिया की कहानी बताती है कि दृढ़ संकल्प और कठोर परिश्रम से कोई भी मुश्किल लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
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