पति नाबालिग तो भी होगा भरण पोषण का वाद: हाईकोर्ट ने बरेली
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि नाबालिग पति के खिलाफ भी भरण-पोषण की मांग की जा सकती है। बरेली के एक मामले में कोर्ट ने माना कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 और 128 के तहत नाबालिग के खिलाफ भरण-पोषण के लिए आवेदन किया जा सकता है। यह फैसला बाल विवाह और नाबालिग पति से भरण-पोषण के दावे से जुड़े एक मामले में आया है। कोर्ट ने कहा कि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि नाबालिगों के खिलाफ आवेदन केवल उनके अभिभावकों के माध्यम से ही दायर किया जा सकता है।
मामले की पृष्ठभूमि और कोर्ट का फैसला
इस मामले में अभिषेक सिंह यादव का विवाह शीला देवी के साथ 10 जुलाई 2016 को हुआ था। शादी के समय अभिषेक की उम्र महज 13 साल थी। जब वह लगभग 16 साल का हुआ, तब उसकी पत्नी ने भरण-पोषण की मांग करते हुए आवेदन दायर किया। निचली अदालत ने पत्नी और बच्चे के लिए कुल 9000 रुपये प्रति माह भरण-पोषण का आदेश दिया था।
- हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा
- भरण-पोषण की राशि को घटाकर 4500 रुपये प्रति माह किया
- कोर्ट ने कहा – नाबालिग के खिलाफ भी भरण-पोषण का आवेदन किया जा सकता है
कोर्ट के निर्णय का आधार
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अनुसार, कोई भी सक्षम व्यक्ति अपनी पत्नी या बच्चे का भरण-पोषण करने से इनकार करता है तो उसके खिलाफ मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन किया जा सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि नाबालिगों के खिलाफ आवेदन केवल उनके अभिभावकों के माध्यम से ही दायर किया जा सकता है।
भरण-पोषण राशि में संशोधन
हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए भरण-पोषण की राशि में संशोधन किया। कोर्ट ने माना कि पति की मासिक आय लगभग 18,000 रुपये होगी। इस आधार पर भरण-पोषण की राशि घटाकर पत्नी के लिए 2500 रुपये और बच्चे के लिए 2000 रुपये कर दी गई। यह कुल 4500 रुपये है, जो पति की आय का 25 प्रतिशत है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगर कोई बकाया राशि है तो उसकी गणना इसी आधार पर की जाएगी।
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