रीवा के रानी तालाब मंदिर में माता का सोलह श्रृंगार: 450 साल
मध्य प्रदेश के रीवा जिले में स्थित प्राचीन मां कालिका मंदिर में शारदीय नवरात्रि की अष्टमी पर विशेष आयोजन हुआ। मंगलवार रात को मां का पारंपरिक सोलह श्रृंगार संपन्न किया गया, जो 450 वर्षों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। हजारों श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंचकर मां के दिव्य स्वरूप के दर्शन किए। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि क्षेत्र के पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। 450 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन मां कालिका मंदिर में सोलह श्रृंगार की यह परंपरा लगभग 450 साल पुरानी है। पहले यह कार्य रीवा राजघराने द्वारा किया जाता था, लेकिन अब यह जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन निभा रहा है। अष्टमी की शाम को होने वाली इस विशेष परंपरा में मां
450 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन
मां कालिका मंदिर में सोलह श्रृंगार की यह परंपरा लगभग 450 साल पुरानी है। पहले यह कार्य रीवा राजघराने द्वारा किया जाता था, लेकिन अब यह जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन निभा रहा है। अष्टमी की शाम को होने वाली इस विशेष परंपरा में मां कालिका को दुल्हन की तरह सजाया जाता है।
- सोलह श्रृंगार अष्टमी की शाम को किया जाता है
- पहले राजघराना करता था, अब स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी
- मां को दुल्हन की तरह सजाया जाता है
श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब
अष्टमी और नवमी के धार्मिक महत्व के कारण मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। श्रद्धालु सुबह से ही दर्शन के लिए कतारों में लगना शुरू हो गए थे, जो देर रात तक जारी रहा। मंदिर प्रांगण में भक्ति, श्रद्धा और आस्था का अनूठा संगम नजर आया।
सिद्धपीठ और पर्यटन केंद्र
मां कालिका मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक सिद्धपीठ के रूप में भी जाना जाता है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के दौरान यहां की गई साधना से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर का गर्भगृह विशेष रूप से जाग्रत माना जाता है।
रानी तालाब और मां कालिका मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि रीवा जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में भी गिने जाते हैं। नवरात्रि के अवसर पर यहां का दृश्य अत्यंत मनमोहक हो जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में यहां विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें देशभर से श्रद्धालु शामिल होते हैं।
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