शिमला में 12 साल के बच्चे ने किया सुसाइड: अमानवीय व्यवहार
शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। चिड़गांव क्षेत्र में छुआछूत की प्रताड़ना से आहत होकर एक 12 वर्षीय बच्चे ने कथित तौर पर जहर खाकर अपनी जान दे दी। यह घटना 17 सितंबर को हुई, जिसके बाद पुलिस ने 28 सितंबर को मामला दर्ज किया। इस घटना ने एक बार फिर समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और छुआछूत की कुरीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल कानूनी कार्रवाई का विषय है, बल्कि समाज में जागरूकता और सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।
घटना का विवरण और पुलिस कार्रवाई
16 सितंबर की शाम को बच्चा खेलते हुए गांव की एक महिला के घर में चला गया था। आरोप है कि महिला ने बच्चे के साथ अमानवीय व्यवहार किया, उसकी पिटाई की और उसे गोशाला में बंद कर दिया। बच्चा किसी तरह वहां से भागकर अपने घर पहुंचा और अपनी मां को पूरी घटना बताई। इस घटना से वह इतना आहत हुआ कि उसने घर आकर जहर निगल लिया।
- बच्चे को गंभीर हालत में पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रोहड़ू और फिर आईजीएमसी शिमला ले जाया गया
- 17 सितंबर की रात करीब डेढ़ बजे बच्चे की मृत्यु हो गई
- पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता और अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है
परिजनों का बयान और आरोप
शुरुआत में परिजनों को यह जानकारी नहीं थी कि बच्चे ने जहर क्यों खाया था। 18 सितंबर को जब परिजन घर लौटे, तो मृतक की मां ने पूरे घटनाक्रम का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि गांव की तीन महिलाओं ने उनके बेटे को पीटा था और गोशाला में बंद कर दिया था, जिसके अपमान और प्रताड़ना से दुखी होकर उसने यह कदम उठाया।
कानूनी कार्रवाई और समाज पर प्रभाव
पुलिस ने इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करते हुए भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। यह घटना समाज में अभी भी मौजूद जातिगत भेदभाव और छुआछूत की कुरीति को दर्शाती है। इस तरह की घटनाएं न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि समाज के विकास में भी बाधा डालती हैं। इस घटना ने एक बार फिर इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा और कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
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