भारत में बढ़ रहा है इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन, सरकार दे रही
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है। पिछले एक साल में इन वाहनों की बिक्री में लगभग 50% की वृद्धि हुई है। सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें सब्सिडी और टैक्स छूट शामिल हैं। इससे प्रदूषण कम करने और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालांकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी अभी भी एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में और तेजी आएगी।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस साल बिक्री में करीब 50% की वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण लोगों में बढ़ती पर्यावरण जागरूकता और सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न प्रोत्साहन योजनाएं हैं।
- दोपहिया वाहनों में सबसे ज्यादा वृद्धि – 60% से अधिक
- कारों की बिक्री में 40% का इजाफा
- ई-बसों की मांग भी बढ़ी – पिछले साल से दोगुनी
सरकारी प्रोत्साहन योजनाएं
केंद्र और राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के प्रोत्साहन दे रही हैं। इनमें शामिल हैं:
- खरीद पर सब्सिडी – 1.5 लाख रुपये तक
- रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट
- रोड टैक्स में कमी
- चार्जिंग स्टेशन स्थापना के लिए अनुदान
चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं
हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में तेजी आई है, लेकिन कुछ बड़ी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। सबसे बड़ी समस्या है चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी। देश भर में अभी सिर्फ 1,800 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हैं, जो पर्याप्त नहीं हैं। इसके अलावा बैटरी की उच्च लागत और कम रेंज भी चिंता का विषय हैं।
फिर भी, विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में इस क्षेत्र में और तेजी आएगी। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश में बिकने वाले 30% वाहन इलेक्ट्रिक हों। इससे न सिर्फ प्रदूषण कम होगा, बल्कि तेल आयात पर निर्भरता भी घटेगी। कई बड़ी कंपन
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