ऑपरेशन आहट में 1113 मासूमों को मिली नई जिंदगी, 347 मानव तस्कर
पूर्व मध्य रेलवे के विभिन्न मंडलों में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने मानव तस्करी के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। 2021 से जुलाई 2025 के बीच, आरपीएफ ने 1,113 पीड़ितों को बचाया और 347 तस्करों को गिरफ्तार किया। अधिकांश पीड़ित नाबालिग बच्चे और किशोरियाँ थीं, जिन्हें बाल मजदूरी या अन्य शोषण के लिए ले जाया जा रहा था। ऑपरेशन ‘आहट’ और ‘नन्हे फरिश्ते’ जैसे अभियानों के माध्यम से आरपीएफ ने न केवल बचाव और गिरफ्तारी की, बल्कि जनता को भी जागरूक किया। हालांकि सफलता मिली है, लेकिन मानव तस्करी का धंधा अभी भी जारी है।
आरपीएफ की सफलता और चुनौतियाँ
आरपीएफ ने समस्तीपुर, दानापुर और पटना जैसे संवेदनशील स्टेशनों पर विशेष ध्यान दिया है। समस्तीपुर मंडल में अकेले पिछले पांच वर्षों में 53 बच्चों को बचाया गया और 25 तस्करों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, तस्करों के लिए सात साल की कैद का डर पर्याप्त नहीं लग रहा है।
- 2022 में समस्तीपुर मंडल में 29 बच्चे बचाए गए और 16 तस्कर पकड़े गए
- 2023 में 5 बच्चे और 1 तस्कर पकड़ा गया
- 2024 में 4 बच्चे और 2 तस्कर गिरफ्तार हुए
- 2025 में 15 बच्चों को बचाया गया और 6 तस्कर पकड़े गए
प्रमुख तस्करी रूट और कार्रवाई
मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दानापुर, पटना, सासाराम, किशनगंज, और डेहरी जैसे स्टेशन मानव तस्करी के प्रमुख रूट हैं। इन पर निगरानी बढ़ाई गई है। हाल ही में डेहरी स्टेशन से 12 किशोरियों के साथ एक तस्कर पकड़ा गया, जबकि पटना जंक्शन से 21 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया।
व्यापक प्रयास और भविष्य की रणनीति
आरपीएफ ने ऑपरेशन “नन्हे फरिश्ते” के तहत 2022 में 1,256 नाबालिगों को बचाया, जिनमें 433 लड़कियाँ शामिल थीं। मंडल सुरक्षा आयुक्त आशीष कुमार के अनुसार, मानव तस्करी को पूरी तरह समाप्त करने के लिए सामुदायिक भागीदारी, स्थानीय प्रशासन, और सामाजिक संगठनों की संयुक्त भागीदारी आवश्यक है। आरपीएफ स्टेशनों पर नुक्कड़ नाटक, पोस्टर-बैनर, और डिजिटल डिस्प्ले के माध्यम से जागरूकता फैला रही है।
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