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भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है। पिछले एक साल में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 200% से अधिक की वृद्धि हुई है। सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। इससे प्रदूषण कम करने और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालांकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी अभी भी एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार और तेजी से बढ़ेगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता
पिछले कुछ वर्षों में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। इसके पीछे कई कारण हैं:
- बढ़ती पर्यावरण चेतना
- पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें
- सरकारी प्रोत्साहन और सब्सिडी
- नए मॉडल्स का आना और कीमतों में कमी
वित्त वर्ष 2022-23 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 200% से अधिक की वृद्धि हुई। दोपहिया और तिपहिया वाहनों में यह वृद्धि सबसे अधिक रही। कई शहरों में अब इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा आम हो गए हैं।
सरकार की प्रोत्साहन योजनाएं
केंद्र और राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही हैं। फेम इंडिया योजना के तहत खरीदारों को सब्सिडी दी जा रही है। कई राज्यों ने रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क में छूट दी है। सरकारी कार्यालयों में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं
इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रसार में सबसे बड़ी बाधा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। लंबी दूरी की यात्रा के लिए चार्जिंग स्टेशनों की कमी एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा बैटरी की उच्च लागत भी एक चुनौती है। हालांकि सरकार और निजी कंपनियां इन समस्याओं के समाधान पर काम कर रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार और तेजी से बढ़ेगा। 2030 तक भारत में कुल वाहन बिक्री का 30% हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों का हो सकता है। इससे न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि तेल आयात पर निर्भरता भी क
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