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कन्नड़ रंगमंच और फिल्म जगत के दिग्गज यशवंत सरदेशपांडे का निधन

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कन्नड़ रंगमंच और फिल्म जगत के दिग्गज यशवंत सरदेशपांडे का निधन

प्रसिद्ध रंगकर्मी और फिल्मकार यशवंत सरदेशपांडे का 29 सितंबर 2025 को 62 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। वे धारवाड़ में एक नाटक का मंचन करने के बाद बेंगलुरु आए थे, जहां उन्हें फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया। दुर्भाग्य से सुबह 10 बजे उनका निधन हो गया। यशवंत कन्नड़ फिल्म, टीवी और रंगमंच जगत में एक जाना-माना नाम थे। उन्होंने अभिनेता, निर्देशक और नाटककार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई थी। उनके काम में उत्तर कर्नाटक की लोक परंपराओं की गहरी छाप थी।

यशवंत सरदेशपांडे का जीवन और कैरियर

यशवंत का जन्म कर्नाटक के बीजापुर जिले के उक्काली गांव में हुआ था। उन्होंने प्रसिद्ध निनासम थिएटर इंस्टीट्यूट से रंगमंच कला में डिप्लोमा किया और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से सिनेमा और नाटक में प्रमाणपत्र प्राप्त किया। उन्होंने 60 से अधिक नाटकों का निर्देशन किया, जिनमें से अधिकांश के 500 से अधिक प्रदर्शन हुए।

  • उनके प्रसिद्ध नाटकों में ‘ऑल द बेस्ट’, ‘राशिचक्र’ और ‘दिल मांगे मोर’ शामिल हैं
  • उन्हें ‘नगेया सरदार’ के नाम से जाना जाता था
  • उनकी पत्नी मालती भी एक जानी-मानी अभिनेत्री हैं

पुरस्कार और सम्मान

यशवंत को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 2010 में उन्हें कर्नाटक का सर्वोच्च नागरिक सम्मान राज्योत्सव पुरस्कार मिला। इसके अलावा उन्हें सनफीस्ट-उदय पुरस्कार, आर्यभट्ट पुरस्कार और ग्लोबलमैन इंटरनेशनल अवार्ड जैसे कई अन्य सम्मान भी मिले।

यशवंत सरदेशपांडे की विरासत

यशवंत ने अपने नाटकों के माध्यम से समाज की वास्तविकताओं को हास्य और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया। उन्होंने रंगमंच को शहरी और ग्रामीण दर्शकों से जोड़ने का माध्यम बनाया। उनके निधन से कन्नड़ रंगमंच और फिल्म जगत को बड़ी क्षति पहुंची है। यशवंत की कलात्मक विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

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यह जानकारी आधिकारिक/विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है और पाठकों के लिए सरल भाषा में प्रस्तुत की गई है।

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