मां महामाया मंदिर बना आस्था का केंद्र: GPM में दूर-दूर से देवी
छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में स्थित प्राचीन मां महामाया मंदिर नवरात्रि के दौरान आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है। सोन नदी के तट पर विशेषरा गांव में स्थित यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। नवरात्रि के अवसर पर यहां ज्वारा और ज्योत कलश प्रज्ज्वलित किए जाते हैं। विशेष रूप से अष्टमी-नवमी पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां पूजा करने से रतनपुर के प्रसिद्ध महामाया मंदिर जैसा ही पुण्य प्राप्त होता है। मंदिर का प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक महत्व हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
विशेषरा गांव का मां महामाया मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मंदिर भक्तों की हर मनोकामना पूरी करता है और जीवन के संकटों को दूर करता है। इतिहासकारों के अनुसार, विशेषरा गांव को बाबा विश्वनाथ की प्राचीन नगरी माना जाता है।
- माना जाता है कि भगवान राम ने यहां भगवान विश्वनाथ का अभिषेक किया था
- मंदिर का प्राकृतिक सौंदर्य भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है
- आदिवासी अंचल होने के बावजूद, इस क्षेत्र में भक्ति की गहरी भावना है
नवरात्रि के दौरान विशेष आयोजन
चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष आयोजन किए जाते हैं। इस दौरान ज्वारा और ज्योत कलश प्रज्ज्वलित किए जाते हैं। विशेष रूप से अष्टमी-नवमी के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। लोग दूर-दूर से मां महामाया के दर्शन और पूजन के लिए आते हैं।
मंदिर की लोकप्रियता और आकर्षण
मंदिर की सादगी और आध्यात्मिक शक्ति इसे क्षेत्र का एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाती है। हर साल नवरात्रि के दौरान यहां आयोजित होने वाले मेले में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस वर्ष भी मां महामाया के दर्शन के लिए दूर-दूर से आने वाले भक्तों का तांता लगा हुआ है। मंदिर का धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य मिलकर इसे एक ऐसा स्थान बनाते हैं जो न केवल स्थानीय लोगों बल्कि दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं को भी आकर्षित करता है।
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